भारत सरकार ने हाल ही में इनकम टैक्स के नियमों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। ये नए नियम वित्तीय वर्ष 2024-25 से लागू हो गए हैं और इनका असर 2025 में आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करते समय दिखाई देगा। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य टैक्स सिस्टम को और अधिक सरल, पारदर्शी और करदाता-अनुकूल बनाना है।
इन नए नियमों में टैक्स स्लैब में बदलाव, स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि, कैपिटल गेन्स टैक्स में संशोधन और कई अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तन शामिल हैं। ये बदलाव न केवल व्यक्तिगत करदाताओं को प्रभावित करेंगे, बल्कि व्यवसायों और निवेशकों पर भी असर डालेंगे। आइए इन बदलावों को विस्तार से समझें और देखें कि 2025 में ITR फाइल करते समय किन बातों का ध्यान रखना होगा।
Income Tax के नए नियम: एक नज़र में
बदलाव | विवरण |
नए टैक्स स्लैब | 3 लाख तक कोई टैक्स नहीं, 7 लाख तक 5% टैक्स |
स्टैंडर्ड डिडक्शन | 50,000 से बढ़कर 75,000 रुपये |
NPS में योगदान | कर्मचारी योगदान पर 14% तक डिडक्शन |
LTCG टैक्स | सभी एसेट्स पर 12.5% की एकसमान दर |
STCG टैक्स | इक्विटी पर 20% (पहले 15% था) |
TDS नियम | कई श्रेणियों में दरों का सरलीकरण |
शेयर बायबैक | व्यक्तिगत स्तर पर टैक्सेबल |
लग्जरी गुड्स | 10 लाख से अधिक की खरीद पर TCS |
नए टैक्स स्लैब: ज्यादा बचत का मौका
सरकार ने नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत इनकम टैक्स स्लैब में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। ये नए स्लैब करदाताओं को अधिक टैक्स बचत का अवसर प्रदान करते हैं। नए स्लैब इस प्रकार हैं:
- 0 से 3,00,000 रुपये: कोई टैक्स नहीं
- 3,00,001 से 7,00,000 रुपये: 5% टैक्स
- 7,00,001 से 10,00,000 रुपये: 10% टैक्स
- 10,00,001 से 12,00,000 रुपये: 15% टैक्स
- 12,00,001 से 15,00,000 रुपये: 20% टैक्स
- 15,00,001 रुपये से अधिक: 30% टैक्स
इन नए स्लैब के कारण, एक करदाता एक वित्तीय वर्ष में लगभग 17,500 रुपये तक की अतिरिक्त टैक्स बचत कर सकता है। यह बदलाव विशेष रूप से मध्यम आय वर्ग के लिए फायदेमंद है।
Standard Deduction में बढ़ोतरी
नई टैक्स व्यवस्था के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है, जो पहले 50,000 रुपये थी। यह बदलाव वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए अतिरिक्त राहत लेकर आया है। इसका मतलब है कि अब आप अपनी कुल आय से 75,000 रुपये की कटौती कर सकते हैं, जिससे आपकी टैक्स योग्य आय कम हो जाएगी।
फैमिली पेंशनर्स के लिए भी स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी गई है। यह बदलाव पेंशनभोगियों के लिए अतिरिक्त राहत प्रदान करता है।
NPS में योगदान पर अधिक Tax Benefit
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में कर्मचारी के योगदान पर मिलने वाले टैक्स लाभ में भी वृद्धि की गई है। अब नई टैक्स व्यवस्था के तहत, कर्मचारी के NPS खाते में नियोक्ता द्वारा किए गए योगदान पर 14% तक का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। यह सीमा पहले 10% थी।
यह बदलाव लोगों को अपने भविष्य के लिए अधिक बचत करने के लिए प्रोत्साहित करेगा और साथ ही वर्तमान में टैक्स बचत का अवसर भी प्रदान करेगा।
Capital Gains Tax में बदलाव
कैपिटल गेन्स टैक्स के नियमों में भी महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:
- लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG): सभी प्रकार के एसेट्स पर LTCG पर अब 12.5% की एकसमान दर से टैक्स लगेगा। पहले यह दर अलग-अलग एसेट्स के लिए अलग-अलग थी।
- शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG): इक्विटी और इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड पर STCG टैक्स की दर 15% से बढ़ाकर 20% कर दी गई है।
- टैक्स छूट सीमा: इक्विटी और इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड से होने वाले LTCG पर 1.25 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट मिलेगी। पहले यह सीमा 1 लाख रुपये थी।
ये बदलाव निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण हैं और उन्हें अपनी निवेश रणनीतियों को इसके अनुसार समायोजित करने की आवश्यकता हो सकती है।
TDS नियमों में सरलीकरण
टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) के नियमों में भी कई बदलाव किए गए हैं:
- कई श्रेणियों में 5% की TDS दर को 2% की एकल दर में मिला दिया गया है।
- म्यूचुअल फंड या UTI यूनिट्स की रिपरचेज पर 20% TDS को हटा दिया गया है।
- ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के लिए TDS दर 1% से घटाकर 0.1% कर दी गई है।
ये बदलाव TDS प्रक्रिया को सरल बनाएंगे और कई मामलों में करदाताओं पर TDS का बोझ कम करेंगे।
शेयर बायबैक पर नया टैक्स नियम
शेयर बायबैक से प्राप्त आय अब व्यक्तिगत करदाताओं के हाथों में उनके आयकर स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होगी। पहले यह आय कर-मुक्त थी। यह बदलाव 1 अक्टूबर, 2024 से प्रभावी हुआ है।
इस बदलाव का मतलब है कि उच्च आय वर्ग के करदाताओं को शेयर बायबैक से प्राप्त आय पर अधिक टैक्स देना पड़ सकता है, जबकि निम्न आय वर्ग के करदाताओं को कम टैक्स देना पड़ सकता है।
लग्जरी गुड्स पर TCS
10 लाख रुपये से अधिक मूल्य के लग्जरी सामानों की खरीद पर अब टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) लागू होगा। यह नया नियम 1 जनवरी, 2025 से प्रभावी होगा। हालांकि, सरकार ने अभी तक लग्जरी सामानों की सूची और TCS लागू करने के तरीके के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी है।
यह कदम लग्जरी सामानों की खरीद पर नज़र रखने और कर चोरी को रोकने के लिए उठाया गया है।
रियल एस्टेट लेनदेन पर TDS नियम
प्रॉपर्टी की बिक्री पर लगने वाले TDS के नियमों में भी बदलाव किया गया है। अब, अगर कुल भुगतान 50 लाख रुपये से अधिक है, तो TDS पूरे भुगतान पर लागू होगा, भले ही प्रत्येक विक्रेता का हिस्सा 50 लाख रुपये से कम हो।
यह बदलाव 1 अक्टूबर, 2024 से लागू हो गया है और इसका उद्देश्य बड़े रियल एस्टेट लेनदेन में टैक्स कम्प्लायंस को बढ़ाना है।
डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा
सरकार ने डिजिटल भुगतानों को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं:
- नकद लेनदेन पर सीमाएं लगाई गई हैं।
- डिजिटल भुगतानों पर विशेष टैक्स छूट की घोषणा की गई है।
- UPI और अन्य डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म्स के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
ये कदम डिजिटल इकोनॉमी को मजबूत करेंगे और टैक्स चोरी को रोकने में मदद करेंगे।
विवाद से विश्वास योजना 2.0
सरकार ने “विवाद से विश्वास योजना 2.0” की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य करदाताओं और आयकर विभाग के बीच लंबित विवादों को सुलझाना है। यह योजना करदाताओं को बिना किसी अतिरिक्त जुर्माने के अपने पुराने विवादों को निपटाने का अवसर प्रदान करती है।
इस योजना के तहत:
- लंबित कर विवादों को जल्दी निपटाया जा सकेगा।
- करदाताओं को राहत मिलेगी और वे अपने कर मामलों को सुलझा सकेंगे।
- सरकार को बकाया कर राजस्व प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। हालांकि हमने सटीक और अद्यतित जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है, फिर भी आयकर नियमों में समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं। कृपया किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले एक योग्य टैक्स सलाहकार या चार्टर्ड एकाउंटेंट से परामर्श लें। लेखक या प्रकाशक इस जानकारी के उपयोग से होने वाले किसी भी नुकसान या क्षति के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।