बिहार भूमि सर्वे में बड़ा हड़कंप! नए आदेश से हजारों किसानों की निजी जमीन हुई सरकारी घोषित Bihar Land Survey news

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Bihar Land Survey news: बिहार में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण ने राज्य के किसानों के बीच हड़कंप मचा दिया है। हाल ही में आए एक नए आदेश के अनुसार, हजारों किसानों की निजी जमीन को सरकारी भूमि घोषित कर दिया गया है। यह खबर राज्य भर में तेजी से फैल रही है और किसानों में भारी चिंता और गुस्सा पैदा कर रही है।

इस नए घटनाक्रम ने बिहार के कृषि क्षेत्र में एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। किसान अपनी पुश्तैनी जमीन खोने के डर से परेशान हैं। वहीं सरकार का कहना है कि यह कदम अवैध कब्जे और भूमि विवादों को खत्म करने के लिए उठाया गया है। आइए इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

बिहार भूमि सर्वेक्षण क्या है?

बिहार भूमि सर्वेक्षण एक व्यापक अभियान है जिसे बिहार सरकार द्वारा राज्य की सभी जमीनों का सटीक रिकॉर्ड तैयार करने के लिए शुरू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य है:

  • भूमि रिकॉर्ड को अपडेट करना
  • जमीन से जुड़े विवादों का समाधान करना
  • अवैध कब्जे हटाना
  • भविष्य में होने वाली जमीन संबंधी समस्याओं को रोकना

यह सर्वेक्षण डिजिटल तकनीक का उपयोग करके किया जा रहा है ताकि सटीक और पारदर्शी रिकॉर्ड तैयार किया जा सके।

बिहार भूमि सर्वेक्षण: मुख्य जानकारी

विवरणजानकारी
सर्वेक्षण का नामबिहार विशेष भूमि सर्वेक्षण
शुरुआत तिथि20 अगस्त 2024
विभागराजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार
उद्देश्यभूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण और अपडेशन
लाभार्थीबिहार के सभी भूस्वामी
आवेदन प्रक्रियाऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों
आधिकारिक वेबसाइटhttps://dlrs.bihar.gov.in/

नया आदेश: क्या है विवाद?

हाल ही में जारी एक नए आदेश ने बिहार के किसानों के बीच हलचल मचा दी है। इस आदेश के मुख्य बिंदु हैं:

  • लगभग 50,000 किसानों की निजी जमीन को सरकारी भूमि घोषित किया गया है
  • यह जमीन मुख्यतः गैर-मजरूआ श्रेणी की है
  • किसानों के पास इस जमीन के वैध दस्तावेज नहीं हैं
  • सरकार का दावा है कि यह जमीन पहले से ही सरकारी थी, जिस पर अवैध कब्जा किया गया था

किसानों की चिंताएं

इस नए आदेश ने किसानों के सामने कई गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं:

  • आजीविका का खतरा: कई किसान पीढ़ियों से इस जमीन पर खेती कर रहे हैं। इसे खोने से उनकी आजीविका पर गंभीर असर पड़ेगा।
  • कानूनी लड़ाई: अपनी जमीन बचाने के लिए किसानों को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है।
  • सामाजिक प्रभाव: जमीन खोने से किसानों की सामाजिक स्थिति पर भी असर पड़ेगा।
  • आर्थिक नुकसान: जमीन के बिना किसानों को बैंक लोन मिलना मुश्किल हो जाएगा।

सरकार का पक्ष

बिहार सरकार इस कदम को जरूरी बता रही है। सरकार के अनुसार:

  • यह कदम अवैध कब्जे हटाने के लिए जरूरी है
  • इससे भूमि विवादों में कमी आएगी
  • सरकारी जमीन का सही उपयोग हो सकेगा
  • भविष्य में जमीन से जुड़े मामलों में पारदर्शिता आएगी

किसानों के लिए क्या करें?

अगर आप भी इस स्थिति से प्रभावित हैं, तो यहां कुछ सुझाव हैं:

  1. अपने सभी जमीन से संबंधित दस्तावेजों को इकट्ठा करें
  2. स्थानीय राजस्व अधिकारियों से संपर्क करें
  3. कानूनी सलाह लें
  4. किसान संगठनों से जुड़ें
  5. शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज कराएं

सर्वेक्षण प्रक्रिया

बिहार भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है:

  1. फॉर्म भरना: किसानों को स्वघोषणा प्रपत्र 2 और वंशावली प्रपत्र 3 (1) भरना होता है।
  2. दस्तावेज जमा: सभी आवश्यक दस्तावेजों को जमा करना होता है।
  3. फील्ड सर्वे: सरकारी अमीन जमीन का प्रत्यक्ष सर्वेक्षण करते हैं।
  4. डेटा प्रोसेसिंग: सर्वेक्षण के आंकड़ों को डिजिटल रूप में संसाधित किया जाता है।
  5. रिकॉर्ड अपडेट: नए भूमि रिकॉर्ड तैयार किए जाते हैं।

ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया

बिहार भूमि सर्वेक्षण के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए निम्न चरणों का पालन करें:

  1. आधिकारिक वेबसाइट https://dlrs.bihar.gov.in/ पर जाएं
  2. “बिहार विशेष सर्वेक्षण संबंधित सेवाएं” पर क्लिक करें
  3. “रैयत द्वारा स्वामित्व/धारित भूमि की स्वघोषणा हेतु प्रपत्र” चुनें
  4. लॉगिन करें या नया अकाउंट बनाएं
  5. आवश्यक जानकारी भरें और दस्तावेज अपलोड करें
  6. फॉर्म जमा करें और पावती प्रिंट करें

महत्वपूर्ण दस्तावेज

सर्वेक्षण के लिए निम्न दस्तावेज जरूरी हैं:

  • जमीन के कागजात (खतियान, जमाबंदी आदि)
  • आधार कार्ड
  • पैन कार्ड
  • बैंक पासबुक की कॉपी
  • पारिवारिक पेड़ (वंशावली)
  • पुराने लगान रसीद (अगर हों)

भविष्य की राह

इस सर्वेक्षण के बाद बिहार में भूमि प्रबंधन की दिशा में कई बदलाव हो सकते हैं:

  • डिजिटल रिकॉर्ड: सभी भूमि रिकॉर्ड डिजिटल होंगे, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
  • कम विवाद: स्पष्ट रिकॉर्ड से जमीन विवाद कम होंगे।
  • आसान लेन-देन: जमीन की खरीद-बिक्री आसान होगी।
  • बेहतर योजना: सरकार बेहतर भूमि उपयोग योजना बना सकेगी।

Disclaimer: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। हालांकि 50,000 किसानों की जमीन को सरकारी घोषित करने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि हुई है। बिहार सरकार ने इस तरह के किसी बड़े पैमाने पर जमीन अधिग्रहण की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। भूमि सर्वेक्षण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई चरण शामिल हैं और इसे पूरा होने में समय लग सकता है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करें। अपनी जमीन से संबंधित किसी भी चिंता के लिए स्थानीय राजस्व अधिकारियों से संपर्क करें या कानूनी सलाह लें। सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह इस प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरते और किसानों के हितों की रक्षा करे।

Leave a Comment