भारत सरकार ने बैंक खातों और मोबाइल सिम कार्ड से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य साइबर फ्रॉड, फर्जी सिम कार्ड और डिजिटल धोखाधड़ी को रोकना है। 2025 में लागू होने वाले ये नए नियम ग्राहकों की सुरक्षा को बढ़ावा देंगे और डिजिटल लेनदेन को अधिक सुरक्षित बनाएंगे। आइए, इन नए नियमों पर विस्तार से चर्चा करें।
बैंक खाता और सिम कार्ड के नए नियम: एक नज़र
विवरण | नए नियम |
सिम कार्ड खरीदने का तरीका | आधार-आधारित बायोमेट्रिक KYC अनिवार्य |
सिम कार्ड की संख्या सीमा | एक व्यक्ति अधिकतम 9 सिम कार्ड रख सकता है |
ब्लैकलिस्टिंग का प्रावधान | धोखाधड़ी करने वालों को 6 महीने से 3 साल तक सिम कार्ड लेने पर प्रतिबंध |
बैंकिंग OTP नंबर | बैंक केवल ‘1600xx’ सीरीज के नंबर से OTP भेज सकते हैं |
सिम कार्ड पुनः सक्रियता अवधि | 90 दिनों तक निष्क्रिय रहने पर सिम को पुनः सक्रिय करने का विकल्प |
प्रीपेड सिम का पंजीकरण | सभी प्रीपेड सिम के लिए पंजीकरण अनिवार्य |
डीलरों की सत्यापन प्रक्रिया | सभी सिम डीलरों को सरकार द्वारा पंजीकृत और सत्यापित होना अनिवार्य |
सिम कार्ड से जुड़े नए नियम
1. आधार आधारित बायोमेट्रिक KYC अनिवार्य
अब हर नए सिम कार्ड के लिए आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। इसमें ग्राहक की उंगलियों के निशान या चेहरे की पहचान का उपयोग किया जाएगा। यह प्रक्रिया फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए सिम जारी करने की घटनाओं को रोकेगी।
2. एक व्यक्ति पर सिम कार्ड की संख्या सीमा
सरकार ने एक व्यक्ति के नाम पर अधिकतम 9 सक्रिय सिम कार्ड रखने की अनुमति दी है। इससे फर्जी नामों पर कई सिम लेने और उनका दुरुपयोग करने की घटनाओं में कमी आएगी।
3. निष्क्रिय सिम कार्ड का प्रबंधन
अगर कोई सिम 90 दिनों तक निष्क्रिय रहता है, तो उसे बंद कर दिया जाएगा। हालांकि, ग्राहक 15 दिनों की ग्रेस अवधि के भीतर इसे फिर से सक्रिय कर सकते हैं। इसके लिए ग्राहक सेवा केंद्र या कंपनी के स्टोर पर संपर्क करना होगा।
4. ब्लैकलिस्टिंग और प्रतिबंध
जो लोग फर्जी दस्तावेज़ों से सिम लेते हैं या साइबर फ्रॉड में शामिल होते हैं, उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। ऐसे व्यक्तियों को 6 महीने से लेकर 3 साल तक नया सिम लेने की अनुमति नहीं होगी।
5. डीलरों और एजेंट्स का सत्यापन
सभी टेलीकॉम डीलरों और एजेंट्स को सरकार द्वारा पंजीकृत और सत्यापित होना अनिवार्य है। यदि कोई डीलर फर्जी गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो उसे तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।
बैंक खातों से जुड़े नए नियम
1. ‘1600xx’ सीरीज नंबर का उपयोग
बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे केवल ‘1600xx’ सीरीज के नंबरों का उपयोग करें ताकि ग्राहकों को भेजे जाने वाले OTP और अन्य संदेश सुरक्षित रहें। प्रमोशनल कॉल्स के लिए ‘140xx’ सीरीज निर्धारित की गई है।
2. मोबाइल नंबर अपडेट प्रक्रिया
ग्राहकों को अपने बैंक खातों से जुड़े मोबाइल नंबर अपडेट करने के लिए सत्यापन प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इससे पुराने या बंद हो चुके नंबरों का दुरुपयोग रोका जा सकेगा।
3. डिजिटल फ्रॉड रोकथाम उपाय
बैंकों को अपने ग्राहकों को डिजिटल फ्रॉड के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाने होंगे। साथ ही, सभी लेनदेन पर निगरानी रखने के लिए AI आधारित उपकरणों का उपयोग किया जाएगा।
नए नियम क्यों जरूरी हैं?
- साइबर फ्रॉड में वृद्धि: हाल ही में साइबर अपराधों में बढ़ोतरी हुई है, जिसमें फर्जी सिम कार्ड और बैंक खातों का दुरुपयोग शामिल है।
- ग्राहकों की सुरक्षा: इन नियमों से ग्राहकों की व्यक्तिगत जानकारी और वित्तीय डेटा अधिक सुरक्षित रहेगा।
- डिजिटल लेनदेन का विस्तार: भारत में डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है, जिससे सुरक्षा उपायों को मजबूत करना आवश्यक हो गया है।
नए नियमों का प्रभाव
सकारात्मक प्रभाव:
- साइबर अपराधों में कमी आएगी।
- ग्राहकों की पहचान प्रक्रिया पारदर्शी होगी।
- टेलीकॉम सेक्टर में अनुशासन बढ़ेगा।
चुनौतियां:
- ग्रामीण क्षेत्रों में बायोमेट्रिक KYC लागू करना कठिन हो सकता है।
- ग्राहकों को नई प्रक्रियाओं की जानकारी देने में समय लग सकता है।
इन नियमों का पालन कैसे करें?
- नया सिम खरीदते समय आधार कार्ड साथ रखें।
- बैंक खाते से जुड़े मोबाइल नंबर को नियमित रूप से अपडेट करें।
- निष्क्रिय सिम कार्ड को समय रहते रिचार्ज करें।
- किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत संबंधित विभाग को दें।
निष्कर्ष
2025 में लागू होने वाले ये नए नियम भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाएंगे। हालांकि, ग्राहकों को इन प्रक्रियाओं का पालन करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण लग सकता है, लेकिन यह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम हैं।
Disclaimer:
यह लेख उपलब्ध जानकारी पर आधारित है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें। ये नियम वास्तविक हैं और भारत सरकार द्वारा लागू किए गए हैं ताकि साइबर अपराधों पर नियंत्रण पाया जा सके।