जमीन का दाखिल-खारिज करने की अंतिम समय सीमा कब तक है? जानें अब!

Jamin Dakhil khaarij Last Date: जमीन का दाखिल-खारिज (Land Mutation) एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें जमीन के मालिकाना हक में हुए परिवर्तन को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है। यह प्रक्रिया जमीन की खरीद-फरोख्त, विरासत, वसीयत, दान या भूमि विभाजन के बाद की जाती है। दाखिल-खारिज करवाना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह नए मालिक को कानूनी मान्यता प्रदान करता है और भविष्य में किसी भी विवाद से बचने में मदद करता है।

दाखिल-खारिज क्या है?

दाखिल-खारिज का अर्थ है जमीन के पुराने मालिक का नाम रिकॉर्ड से हटाकर नए मालिक का नाम दर्ज करना। इसे “म्यूटेशन” भी कहा जाता है। यह प्रक्रिया राजस्व विभाग द्वारा संचालित होती है और इसे तहसील कार्यालय या ऑनलाइन माध्यम से किया जा सकता है।

दाखिल-खारिज के महत्व

  • स्वामित्व का प्रमाण: यह प्रक्रिया नए मालिक को जमीन पर कानूनी अधिकार देती है।
  • राजस्व भुगतान: इससे सुनिश्चित होता है कि जमीन से जुड़ा टैक्स सही व्यक्ति के नाम पर जमा हो।
  • कानूनी सुरक्षा: यह प्रक्रिया भूमि विवादों को रोकने में मदद करती है।
  • सरकारी योजनाओं का लाभ: दाखिल-खारिज के बाद ही जमीन के मालिक सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।

दाखिल-खारिज की समय सीमा

समय सीमा कितनी होती है?

  1. रजिस्ट्री के बाद: जमीन की रजिस्ट्री के 35 से 45 दिनों के भीतर दाखिल-खारिज करवाना अनिवार्य होता है। यदि इस अवधि में दाखिल-खारिज नहीं करवाया गया तो विक्रेता संपत्ति को किसी और को बेच सकता है, जिससे खरीदार को कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं.
  2. आपत्ति आने पर: अगर दाखिल-खारिज आवेदन पर कोई आपत्ति आती है, तो इसे 30 से 90 दिनों के भीतर निपटाना होता है, अन्यथा आवेदन स्वतः रद्द हो सकता है.
  3. विशेष परिस्थितियों में: यदि रजिस्ट्री के कई साल बाद दाखिल-खारिज करवाने की कोशिश की जाती है, तो तहसीलदार इसे अस्वीकार कर सकते हैं। आमतौर पर 8 से 10 साल के भीतर यह प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिए.

दाखिल-खारिज प्रक्रिया

ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया

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अब बिहार और अन्य राज्यों में दाखिल-खारिज की प्रक्रिया ऑनलाइन उपलब्ध हो गई है। इसके लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:

  1. आधिकारिक पोर्टल पर जाएं (जैसे बिहार भूमि पोर्टल)।
  2. “ऑनलाइन दाखिल खारिज आवेदन” विकल्प पर क्लिक करें।
  3. अपना मोबाइल नंबर और अन्य जानकारी दर्ज करके रजिस्टर करें।
  4. सभी आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।
  5. आवेदन शुल्क का भुगतान करें और फॉर्म सबमिट करें।
  6. आवेदन की स्थिति ऑनलाइन चेक करें.

आवश्यक दस्तावेज

दस्तावेज़विवरण
बिक्री विलेखजमीन खरीदने का प्रमाण
रजिस्ट्री प्रमाणपत्रपंजीकरण का आधिकारिक दस्तावेज
पहचान पत्रआधार कार्ड, पैन कार्ड आदि
खतियानपिछले मालिक का स्वामित्व प्रमाण
लगान रसीदभूमि कर भुगतान का प्रमाण

दाखिल-खारिज न कराने पर नुकसान

यदि समय पर दाखिल-खारिज नहीं कराया गया तो:

  1. जमीन पर आपका कानूनी अधिकार मान्य नहीं होगा।
  2. विक्रेता संपत्ति को पुनः बेच सकता है।
  3. भविष्य में विवाद होने पर कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है.
  4. सरकारी योजनाओं और बैंक लोन जैसी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।

बिहार में ‘सुओ-मोटो दाखिल-खारिज’ नियम

बिहार सरकार ने 2024 से ‘सुओ-मोटो दाखिल-खारिज’ नियम लागू किया है। इसके तहत अब जमीन रजिस्ट्री के समय ही म्यूटेशन की प्रक्रिया स्वतः शुरू हो जाएगी। इससे लोगों को अलग से आवेदन करने की जरूरत नहीं होगी और समय की बचत होगी.

दाखिल-खारिज प्रक्रिया का सारांश

विषयविवरण
प्रक्रियाभूमि स्वामित्व परिवर्तन रिकॉर्ड करना
समय सीमा35 से 45 दिन (रजिस्ट्री के बाद)
आवेदन माध्यमऑनलाइन/ऑफलाइन
आवश्यक दस्तावेजबिक्री विलेख, पहचान पत्र, खतियान आदि
शुल्कसंपत्ति मूल्य के आधार पर भिन्न
लाभकानूनी स्वामित्व, विवादों से बचाव

महत्वपूर्ण सुझाव

  1. रजिस्ट्री होते ही तुरंत दाखिल-खारिज करवाएं।
  2. सभी दस्तावेज पहले से तैयार रखें।
  3. आवेदन की स्थिति नियमित रूप से चेक करते रहें।
  4. किसी समस्या के लिए संबंधित अधिकारी या हेल्पलाइन से संपर्क करें।

Disclaimer:

यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी स्थिति के अनुसार कानूनी सलाह लें। बिहार में ‘सुओ-मोटो दाखिल-खारिज’ नियम लागू होने से प्रक्रिया सरल हो चुकी है। अन्य राज्यों में भी इसी तरह की प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं।

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