बड़ी खबर! अब इस इलाके में चलने वाला है बुलडोजर, जानें पूरा मामला Delhi Demolition

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Delhi Demolition: दिल्ली के सिविल लाइन्स इलाके में स्थित खैबर पास में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत सैकड़ों घरों को गिराया जा रहा है, जिससे वहां रहने वाले लोग बेघर हो गए हैं। लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस (एल एंड डीओ) द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान ने स्थानीय निवासियों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।

इस तोड़फोड़ अभियान ने न केवल लोगों को बेघर किया है, बल्कि उनके सपनों और आजीविका को भी चकनाचूर कर दिया है। कई परिवार जो पीढ़ियों से यहां रह रहे थे, अब अपने सामान के साथ सड़कों पर आ गए हैं। यह खबर दिल्ली के विकास और शहरी नियोजन के बीच उठने वाले सवालों को सामने लाती है।

खैबर पास तोड़फोड़ अभियान: एक नज़र में

विवरणजानकारी
स्थानखैबर पास, सिविल लाइन्स, दिल्ली
कार्रवाई करने वाली एजेंसीलैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस (एल एंड डीओ)
प्रभावित घरों की संख्या250 से अधिक
शुरुआती तिथि13 जुलाई, 2024
कारणअवैध निर्माण और अतिक्रमण
भूमि का स्वामित्वरक्षा मंत्रालय
निवासियों की स्थितिविस्थापित और बेघर
कानूनी स्थितिदिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन याचिका खारिज

तोड़फोड़ अभियान का कारण और प्रक्रिया

एल एंड डीओ के अनुसार, खैबर पास में हुए निर्माण अवैध थे क्योंकि यह भूमि रक्षा मंत्रालय की है। 1935 में यह जमीन रक्षा मंत्रालय को दी गई थी। मार्च 2024 में, एल एंड डीओ ने निवासियों को नोटिस जारी किया था जिसमें उन्हें 4 मार्च तक अवैध कब्जा खाली करने और अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया गया था।

हालांकि, निवासियों ने इस नोटिस को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने शुरू में अंतरिम रोक लगाई थी, लेकिन 9 जुलाई के फैसले में उन्होंने एल एंड डीओ के नोटिस को रद्द करने से इनकार कर दिया।

निवासियों की आपबीती

तोड़फोड़ अभियान से प्रभावित लोगों ने अपनी दर्दनाक कहानियां साझा कीं:

  • 60 वर्षीय कमला सिंह, जिनका घर गिराया गया, ने कहा, “मैंने इस घर में तीन पीढ़ियों को पाला है। मेरे पति की 26 साल पहले मृत्यु हो गई थी। यह घर ही मेरे पास सब कुछ था, अब मेरे पास कुछ नहीं है।”
  • राकेश कुमार (62) ने बताया, “मेरे पास 1951 से यहां रहने के दस्तावेज हैं। मैं यहीं पैदा हुआ और बूढ़ा हुआ। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा।”
  • संध्या ने अपने बच्चों की शिक्षा के बारे में चिंता जताई, “मेरे बच्चे घर टूटने के कारण परीक्षा नहीं दे पाए। हम मुश्किल से गुजारा करते हैं। अब हमारे सिर से छत भी चली गई है।”

तोड़फोड़ अभियान का प्रभाव

  1. आवास की समस्या: सैकड़ों परिवार बेघर हो गए हैं और उनके पास रहने की कोई जगह नहीं है।
  2. आजीविका का नुकसान: कई लोगों ने अपने घरों में छोटे व्यवसाय चला रखे थे, जो अब बंद हो गए हैं।
  3. शिक्षा में बाधा: बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है क्योंकि परिवार अब बेघर हैं।
  4. मानसिक स्वास्थ्य: अचानक बेघर होने से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
  5. सामाजिक सुरक्षा: कई वृद्ध और कमजोर लोग अब असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

सरकारी पक्ष और कानूनी स्थिति

एल एंड डीओ का कहना है कि वे दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन कर रहे हैं। उनके अनुसार, 1 अगस्त को जारी एक नोटिस में कहा गया था कि खैबर पास में बेदखली और तोड़फोड़ अभियान उच्च न्यायालय द्वारा 9 जुलाई और 29 जुलाई को पारित आदेशों के अनुसार किया जा रहा है।

हालांकि, निवासियों का आरोप है कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया। कई लोगों ने कहा कि उन्हें केवल दो दिन पहले सूचना दी गई थी।

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया

मानवाधिकार कार्यकर्ता निर्मल गोराना ने कहा, “यहां रहने वाले निवासी शुरू में ब्रिटिश सेना के लिए मामूली काम करते थे। इस क्षेत्र को स्लम के रूप में क्यों नहीं सर्वेक्षण किया गया? यह मान्यता प्राप्त स्लम के लिए मानदंडों को पूरा कर सकता है।”

उन्होंने विस्थापित निवासियों के लिए पुनर्वास की मांग की है।

आगे क्या?

इस स्थिति ने कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े किए हैं:

  • क्या सरकार विस्थापित लोगों के लिए कोई पुनर्वास योजना लाएगी?
  • क्या भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए कोई नीतिगत बदलाव किया जाएगा?
  • शहरी विकास और मानवीय पहलुओं के बीच संतुलन कैसे बनाया जा सकता है?

निष्कर्ष

खैबर पास का तोड़फोड़ अभियान दिल्ली के शहरी विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह घटना शहरी नियोजन, आवास नीति और मानवाधिकारों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत को रेखांकित करती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और नीति निर्माता इस मुद्दे को कैसे संबोधित करते हैं।

अस्वीकरण: यह लेख मौजूदा समाचार रिपोर्टों और उपलब्ध जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। स्थिति तेजी से बदल सकती है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे नवीनतम अपडेट के लिए आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें। तोड़फोड़ अभियान वास्तविक है, लेकिन इसके कारणों और प्रभावों पर विभिन्न पक्षों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। यह एक जटिल मुद्दा है जिसमें कानूनी, सामाजिक और मानवीय पहलू शामिल हैं।

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